Friday, May 20, 2016

एनिमल फार्म- 10


साभार गुगल
------------------------------------------------------गर्मियों के बीतते-बीतते बाड़े में हुई घटना का समाचार देश के आधे भाग तक फैल चुका था। हर दिन स्नोबॉल और नेपोलियन कबूतरों के झुंडो को उड़ान पर भेजते। उन्हें यह हिदायत थी कि वे पास-पड़ोस के बाड़ों में पशुओं से मिलें-जुलें और उन्हें बगावत की कहानी सुनाएँ। उन्हें ‘इंग्लैंड के पशु’ की धुन सिखाएँ।
मिस्टर जोंस अपना अधिकतर समय विलिंगडन में ‘रेड लायन की मधुशाला’ में बैठे हुए गुजारता। उसे जो भी श्रोता मिलता उसी के सामने वह दुखड़ा रोने लगता कि किस तरह कुछ निकम्मे पशुओं के झुंड ने उसे उसकी संपत्ति से बेदखल कर दिया है। उसके साथ भारी अन्याय हुआ है। दूसरे किसान शुरू-शुरू में उससे सैद्धांतिक रूप में सहानुभूति रखते रहे, लेकिन मदद के लिए आगे नहीं आए। उनमें से प्रत्येक मन-ही-मन लड्डू फोड़ रहा था कि क्या ऐसा नहीं हो सकता कि जोंस के दुर्भाग्य को अपने सौभाग्य में बदल डालें। सौभाग्य से पशु बाड़े के दोनों तरफ के बाड़ों के मालिकों में कभी भी पटती नहीं थी। इनमें से एक बाड़े का नाम फॉक्सवुड था। यह लंबा-चौड़ा, उपेक्षित, पुराने टाइप का फार्म था। जहाँ-तहाँ झाड़-खंखार उगे हुए थे। चरागाहों में कुछ उगता नहीं था और बाड़ें दयनीय हालत में थीं। इस बाड़े के मालिक का नाम विलकिंगटन था। वह आराम-पसंद भलमानस किसान था। अपना ज्यादातर वक्त मौसम के हिसाब से मछली मारने या शिकार करने में गुजारता था। दूसरा बाड़ा पिंचफील्ड कहलाता था। वह बाड़ा छोटा और साफ-सुथरा था। फ्रेडरिक नाम का इसका मालिक कठोर और धूर्त आदमी था। हमेशा मुकदमेबाजी में उलझा रहता। उसके बारे में मशहूर था कि वह मुश्किल-से-मुश्किल सौदे पटा लेता है। दोनों एक-दूसरे को फूटी-आँख नहीं सुहाते थे। आपस में इतना अधिक चिढ़ते थे कि बेशक अपने ही हित में हो, किसी समझौते पर पहुँच पाना उनके लिए मुश्किल था।
इसके बावजूद दोनों मैनर फार्म में हुई बगावत से डरे हुए थे। उन्हें चिंता लगी हुई थी कहीं उनके पशु भी इसके बारे में ज्यादा कुछ न जान लें। शुरू में तो उन्होंने इस विचार को ही हँसी में उड़ाने की कोशिश की कि पशु अपने आप बाड़े कैसे चला सकते हैं। उनका कहना था कि पूरा मामला ही पखवाड़े भर में निपट जाएगा। उन्होंने यह खबर उड़ाई कि मैनर फार्म में (वे इसे मैनर फार्म कहने पर ही जोर देते रहे, वे पशुबाड़ा या एनिमल फार्म नाम को कैसे बर्दाश्त करते) दरअसल पशु आपस में ही लड़ मर रहे हैं। वे बहुत तेजी से भुखमरी की हालत में आ गए हैं। जब वक्त गुजरा और पाया गया कि पशु भूख से नहीं मरे हैं, तो फ्रेडरिक और विलकिंगटन ने अपना राग बदल दिया और अब पशु बाड़े में पनप रही भयानक चरित्रहीनता और दुष्टता की बात करने लगे। उन्होंने खबर उड़ाई कि वहाँ जानवर आपस में एक-दूसरे को मार कर खा रहे हैं, लाल-गर्म सलाखों से एक-दूसरे को दाग रहे हैं, और उनकी मादाएँ ‘कॉमन’ हैं। सब उनका मिल-जुल कर उपभोग कर रहे हैं। फ्रेडरिक और विलकिंगटन का कहना था कि प्रकृति के नियम के खिलाफ बगावत करने का यही नतीजा सामने आया है।
अलबत्ता, इन कहानियों पर कभी भी पूरी तरह विश्वास नहीं किया गया। एक अद्भुत बाड़ा है, जहाँ से आदमियों को खदेड़ कर बाहर निकाल दिया गया है, और पशु अपनी सारी व्यवस्थाएँ खुद कर रहे हैं, इसकी अफवाहें अस्पष्ट और विकृत रूप से प्रचारित होती रहीं। पूरे साल तक बगावत की लहर देश के दूर-दराज के इलाकों में बहती रही। साँड़ जिन्हें हमेशा से विनम्र समझा जाता था, अचानक बिगड़ैल हो गए। भेड़ों ने बाड़े तोड़ डाले और घास की फसल खोद डाली। गायों ने लात मार कर बाल्टियाँ उलट दीं। शिकार पर जाते घोड़ों ने अपने सवारों की बात मानने से ही इनकार कर दिया और उल्टे उन्हें ही उछाल कर परे फेंक दिया। सबसे बड़ी बात यह हुई कि ‘इंग्लैंड के पशु’ की धुन और यहाँ तक कि गीत के बोल भी हर जगह सबकी जबान पर चढ़े हुए थे। ये सब अजब की गति से चारों तरफ पहुँचे थे। जब मनुष्य लोग इस गीत को सुनते तो वे अपने गुस्से पर काबू नहीं कर पाते थे। हालाँकि बाहर से यही जतलाते कि यह सब बकवास है। वे कहते कि यह बात वे समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर पशु कैसे इस घृणित तुकबंदी को गाने की जुर्रत कर रहे हैं। यदि कोई पशु इसे गाता पाया जाता तो उसे तुरंत कोड़ों से पीट कर धुन दिया जाता। इसके बावजूद गीत दबाए नहीं दब रहा था। कस्तूरा पक्षी झाड़ियों में छुप कर इसे कूकते, कबूतरों ने इसे चिराबेल पेड़ों पर गुटर-गूँ करके गाया। यह लुहार के यहाँ शोरगुल में जा मिला और गिरजाघर की घंटियों की गूँज का हिस्सा बन गया। और जब आदमियों ने इसे सुना तो थर्रा कर रह गए। इसमें उन्हें अपनी कयामत की भविष्यवाणी सुनाई दे रही थी।
अक्टूबर के शुरू में, जब मकई की फसल काट कर खलिहान में पहुँचाई जा चुकी थी और उसमें से कुछ के दाने भी निकाले जा चुके थे, कबूतरों का एक झुंड हवा में पंख फड़फड़ाते हुए आया। यह झुंड पशु बाड़े में बहुत अधिक उत्तेजना में पहुँचा। जोंस और उसके सभी नौकर-चाकर, फॉक्सवुड और पिंचफील्ड के छह आदमियों के साथ पाँच सलाखोंवाले गेट तक आ पहुँचे थे और बाड़े की तरफ आनेवाली कच्ची सड़क की तरफ बढ़ रहे थे। जोंस के सिवाय वे सब के सब हाथों में लाठियाँ लिए हुए थे। जोंस हाथों में बंदूक थामे आगे-आगे चला आ रहा था। इसमें कोई शक नहीं था कि वे बाड़े पर फिर से कब्जा करने की नीयत से हमला करने आए थे। 
इसकी आशंका बहुत पहले से की जा रही थी। सब तैयारियाँ पूरी कर ली गई थीं। स्नोबॉल, जिसने फार्म हाउस में पड़ी एक पुरानी किताब में से जूलियस सीजर की मुहिमों का अध्ययन कर रखा था, इस समय सुरक्षात्मक हमले का इंचार्ज था। उसने फटाफट आदेश दिए और दो ही मिनटों में सभी पशु अपनी-अपनी जगह पर थे।
जैसे ही आदमी लोग फार्म हाउस के पास पहुँचे, स्नोबॉल ने पहला हमला बोल दिया। सभी कबूतर, जिनकी संख्या पैंतीस थी, आदमियों के सिरों के ऊपर उड़ानें भरने लगी और हवा में से उनके सिरों पर बीट करने लगी। आदमी जब तक इनसे निपटते, झाड़ियों के पीछे छुपे बैठे हंसों ने अचानक हमला कर दिया और उनकी पिंडलियों पर चोंचें मारने लगी। अलबत्ता, यह हल्की किस्म की मुठभेड़वाली झड़प थी, जिसका मकसद अव्यवस्था फैलाना था। आदमियों ने आसानी से हंसों को लाठियों से दूर हाँक दिया। स्नोबॉल ने तब दूसरी पंक्ति का हमला बोला। मुरियल, बैंजामिन और सभी भेड़ें तथा इन सबके आगे स्नोबॉल खुद आगे की तरफ तेजी से बढ़े। उन्होंने चारों तरफ से आदमियों को धकियाया और टक्करें मारीं, तब तक बैंजामिन घूमा और अपने छोटे-छोटे खुरों से उन पर दुलत्तियाँ झाड़ने लगे। लेकिन एक बार फिर आदमी अपनी लाठियों से और गुलमेखों जड़े जूतों से भारी पड़ने लगे। तभी स्नोबॉल की चीत्कार सुन कर, जो मैदान छोड़ने का संकेत था, सभी जानवर पीछे मुड़े और दरवाजे में से अहाते की ओर भाग गए।
आदमियों ने विजय का सिंहनाद किया। उन्होंने देखा कि उनकी कल्पना के अनुरूप, उनके दुश्मनों के छक्के छूट गए थे। वे उनके पीछे अफरा-तफरी में भागे और यही स्नोबॉल चाहता था। जैसे ही वे अहाते के भीतर पहुँचे, तीनों घोड़े, तीनों गाएँ और बाकी सूअर, जो तबेले में घात लगा कर छुपे बैठे थे, अचानक आदमियों के पीछे से आए और उन्हें घेर लिया। तब स्नोबॉल ने हमला बोलने का इशारा किया। वह खुद जोंस की तरफ लपका। जोंस ने उसे देखा, अपनी बंदूक उठाई और फायर कर दिया। गोलियाँ स्नोबॉल की पीठ को खरोंचती, खूनी लकीरें बनाती हुई निकल गईं, और एक भेड़ उसकी जद में आ कर मर गई। एक पल के लिए भी रुके बिना स्नोबॉल अपने पूरे वजन के साथ जोंस की टाँगों से जा भिड़ा। जोंस गोबर की एक ढेरी पर गिर पड़ा। बंदूक उसके हाथों से छिटक गई, लेकिन सबसे ज्यादा थर्रानेवाला दृश्य बॉक्सर का था। वह अपनी पिछली दो टाँगों पर खड़ा लोहे की नालें जड़े अपने विशाल सुमों से साँड़ की तरह वार कर रहा था। उसका पहला ही आघात फोक्सवुड की घुड़साल में काम करनेवाले छोकरे के सिर पर लगा और वह कीचड़ में निर्जीव हो कर गिर पड़ा। यह देखते ही, कई आदमियों ने अपनी लाठियाँ छोड़ दीं और भागने की कोशिश करने लगे। उनमें भगदड़ मच गई और अगले ही पल सब पशु मिल कर उन्हें अहातों में चारों तरफ दौड़ाने लगे। उन्हें सींग भोंके गए, दुलत्तियाँ मारी गई, काटा गया और उन्हें पैरों तले रौंदा गया। बाड़े में कोई भी ऐसा पशु नहीं था जिसने अपने तरीके से उनसे बदला न चुकाया हो। यहाँ तक कि बिल्ली भी अचानक एक छत से एक ग्वाले के कंधे पर कूदी और अपने पंजे उसकी गर्दन में गड़ा दिए। वह ग्वाला भयंकर रूप से चीखा। एक पल के लिए जब बाहर जाने का रास्ता साफ दिखा तो आदमी सर पर पाँव रख कर अहाते से भागे और भागते-भागते बड़ी सड़क तक जा पहुँचे। और इस तरह अपने हमले के पाँच मिनट के भीतर वे उसी तरह शर्मनाक तरीके से मैदान छोड़ते नजर आए। उनके पीछे हंसों का झुंड फुफकारता और उनकी पिंडलियों पर चोंचे मारता दौड़ रहा था।
एक आदमी को छोड़ कर सब वापस जा चुके थे। पीछे अहाते में बॉक्सर अपने सुमों पर टाप रहा था। वह कीचड़ में औंधे पड़े घुड़सालवाले छोकरे को सीधा करने की कोशिश कर रहा था। लड़का बिलकुल हिला-डुला नहीं।
‘यह मर चुका है।’ बॉक्सर ने दुखी होते हुए कहा। ‘ऐसा करने का मेरा कोई इरादा नहीं था। मैं भूल गया था कि मैंने नालें लगा रखी हैं। कौन विश्वास करेगा कि मैंने यह जानबूझ कर नहीं किया है?’
‘भावुक होने की जरूरत नहीं, कॉमरेड!’ स्नोबॉल चिल्लाया। उसके जख्मों से अभी भी खून रिस रहा था। ‘युद्ध-युद्ध ही होता है। अच्छा आदमी केवल वही है जो मर चुका है।’
‘किसी की, यहाँ तक मनुष्य की भी, जान लेने की मेरी कोई इच्छा नहीं थी।’
बॉक्सर ने अपनी बात दोहराई।
उसकी आँखें आँसुओं से भरी थीं।
‘मौली कहाँ है?’ किसी ने आश्चर्य व्यक्त किया।
मौली दरअसल गायब थी। एक पल के लिए तो संकट की स्थिति आ गई। यह भय व्याप्त गया कि कहीं आदमियों ने उसे कोई नुकसान न पहुँचाया हो, या उसे अपने साथ न ले गए हों। लेकिन आखिर में वह अपने थान में छुपी हुई पाई गई। उसने नाद में घास के बीच अपना मुँह छुपा रखा था। जैसे ही बंदूक की गोली चली थी, वह भाग कर यहाँ आ गई थी। और जब सब उसे खोजने के बाद वापस आए, तो पाया गया कि घुड़सालवाला छोकरा, दरअसल केवल सन्न हुआ था। होश आते ही फूट लिया।
अब पशु चरम उत्तेजना में फिर से जमा हुए। हर कोई दूसरों से ऊँची आवाज में, लड़ाई में अपनी खुद की बहादुरी के किस्से बखान करने लगा। तत्काल ही विजय के उपलक्ष्य में बिना किसी तैयारी के एक उत्सव मना लिया गया। ध्वजारोहण किया गया और कई बार ‘इंग्लैंड के पशु’ गीत गाया गया। तब मारी गई भेड़ का पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। उसकी समाधि पर कँटीली घास का एक पौधा लगाया गया। समाधि के पास ही स्नोबॉल ने संक्षिप्त भाषण दिया जिसमें उसने इस बात पर जोर दिया कि जरूरत पड़ने पर सभी पशु अपने बाड़े के लिए मरने के लिए तैयार रहें।
पशुओं ने एक सैन्य अलंकरण ‘पशु वीर, उत्तम कोटि’ शुरू करने का निर्णय बहुमत से ले लिया और वहीं और तभी ये अलंकरण स्नोबॉल और बॉक्सर को प्रदान कर दिए गए। इसमें एक पीतल का पदक था। (ये घोड़ों के पुराने पदक थे जो साज-सामान के कमरे में मिल गए थे) इसे रविवार और छुट्टी के दिन धारण किया जाना था। एक और अलंकरण ‘पशु वीर, मध्यम कोटि’ भी बनाया गया जो मरणोपरांत मृतक भेड़ को प्रदान किया गया। 
इस बात पर बहुत चर्चा हुई कि आखिर इस लड़ाई को नाम क्या दिया जाए? आखिर में इसे ‘तबेले की लड़ाई’ नाम दिया गया, क्योंकि यही वह जगह थी, जहाँ से घात लगा कर हमला किया गया था। मिस्टर जोंस की बंदूक कीचड़ में पड़ी मिल गई थी। यह भी पता चला कि फार्म हाउस में गोलियों का भंडार रखा है। यह फैसला किया गया कि इस बंदूक को झंडे के चबूतरे के पास, अस्त्र-शस्त्र की तरह सजा कर रखा जाए। इसे साल में दो बार चलाया जाए। एक बार 12 अक्टूबर को तबेले की लड़ाई की वर्षगाँठ पर और दूसरी बार 24 जून को अर्थात बगावत की वर्षगाँठ पर।
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भाग 9



साभार गुगल

सूअर तो पहले से ही धड़ल्ले से पढ़ और लिख सकते थे। कुत्तों ने काफी हद तक पढ़ना सीख लिया, लेकिन वे सात धर्मादेशों के अलावा कुछ भी पढ़ने या सीखने के लिए इच्छुक नहीं थे। मुरियल बकरी कुत्तों से थोड़ा बेहतर पढ़ लेती, और कई बार शाम के वक्त कचरे के ढेर में से मिली अखबार की कतरनों को पढ़ कर दूसरों को सुनाती। बैंजामिन सूअरों की ही तरह ही पढ़ लेता था, लेकिन उसने कभी इसके लिए दिमाग नहीं खपाया।
उसका कहना था, जहाँ तक वह जानता है, कुछ भी पढ़ने लायक नहीं है। क्लोवर ने पूरी वर्णमाला सीख ली, लेकिन वह अक्षरों को एक साथ नहीं रख पाती थी। बॉक्सर ई से आगे नहीं बढ़ पाया। वह अपने विशाल सुम से धूल में अ, आ, इ, ई उकेरता, और फिर कान खड़े करके इन अक्षरों को घूरता खड़ा रहता। कभी-कभी अपने भालकेश हिलाता, अपने दिमाग पर पूरा जोर लगा कर याद करने की कोशिश करता कि इसके बाद क्या आता है, लेकिन कभी सफल न हो पाता। कई बार तो उसने सचमुच उ, ऊ, ए, ऐ तक याद कर लिया, लेकिन जब तक इन अक्षरों को जान पाता, हमेशा यही पता चलता, वह अ, आ, इ, ई भी भूल चुका है। आखिरकार उसने तय कर लिया कि वह पहले अपने चार अक्षरों से ही संतुष्ट रहेगा। वह अपनी याददाश्त ताजा करने के लिए दिन में एक-दो बार लिख लेता। मौली ने अपने खुद के नाम के अक्षरों के अलावा कुछ भी सीखने से इनकार कर दिया। वह कुछ टहनियाँ ले कर बहुत सफाई से अपने नाम के अक्षर बनाती और फिर उन्हें फूलों से सजाती। तब वह आत्ममुग्धा-सी इसके चारों तरफ चक्कर काटती रहती।
बाकी पशुओं में कोई भी अ अक्षर से आगे नहीं पहुँच पाया। यह भी देखा गया कि भोंदू किस्म के प्राणी, जैसे भेड़ें, मुर्गियाँ और बत्तखें ये सात धर्मादेश भी कंठस्थ नहीं कर पाए थे। बहुत सोचने-विचारने के बाद स्नोबॉल ने घोषणा की कि देखा जाए तो इन सात धर्मादेशों को एक अकेले सूत्रवाक्य में पिरोया जा सकता है। इन्हें इस तरह घटाया जा सकता है, चार टाँगें अच्छी, दो टाँगें खराब। उसका कहना था कि इसमें पशुवाद का आवश्यक सिद्धांत आ गया है। जो भी इसे अच्छी तरह ग्रहण कर लेगा, वह आदमियों के प्रभाव से बचा रहेगा। शुरू-शुरू में पक्षियों ने इस पर आपत्ति की, क्योंकि उन्हें यह लगा कि उनकी भी दो ही टाँगें हैं, लेकिन स्नोबॉल ने सिद्ध कर दिया कि ऐसा नहीं है।
‘कॉमरेड्स,' उसने बताया, ‘चिड़िया के पर फड़फड़ानेवाले यानी शरीर को आगे ले जानेवाले अंग हैं, न कि स्वार्थ साधने के अंग। इसलिए परों को पैर माना जाना चाहिए। आदमी की सबसे खास निशानी उसके हाथ हैं। इन्हीं के साथ वह दुनिया भर का छल-कपट करता है।’
चिड़ियों को स्नोबॉल की भारी-भरकम शब्दावली समझ नहीं आई, लेकिन उन्होंने उसकी व्याख्या स्वीकार कर ली। सभी छोटे, निरीह प्राणियों ने नए सूत्रवाक्य को रटना शुरू कर दिया। ‘चार टाँगें अच्छी, दो टाँगें खराब’ को बखार की आखिरी दीवार पर, ‘सात धर्मादेश’ के ऊपर और बड़े अक्षरों में खुदवा दिया गया। एक बार उसे कंठस्थ कर लेने के बाद भेड़ों में इस सूत्रवाक्य के लिए खासा प्रेम उमड़ा। वे अकसर खेतों में लेटे-लेटे अचानक मिमियाने लगतीं - ‘चार टाँगें अच्छी, दो टाँगें खराब। चार टाँगें अच्छी, दो टाँगें खराब।’ इसे वे घंटों अलापती रहतीं। कभी भी उकताती नहीं थीं।
नेपोलियन को स्नोबॉल की समितियों में कोई दिलचस्पी नहीं थी। उसका कहना था कि छोटों की पढ़ाई बड़े हो चुके प्राणियों के लिए कुछ करने की तुलना में ज्यादा महत्वपूर्ण है। हुआ यह कि जेस्सी और ब्लूबैल, दोनों ने सूखी घास की फसल के तुरंत बाद पिल्ले जने। दोनों ने कुल मिला कर नौ तगड़े पिल्लों को जन्म दिया। उनका दूध छुड़ाए जाते ही नेपोलियन उन्हें उनकी माँओं से यह कहते हुए ले गया कि वह उनकी पढ़ाई-लिखाई की जिम्मेदारी उठाएगा। वह उन्हें उठा कर एक टाँड़ पर ले गया। इस पर साज-सामान के कमरे से एक सीढ़ी द्वारा ही चढ़ा जा सकता था। उसने उन्हें वहाँ इतने एकांत में रखा कि बाड़े के बाकी लोग जल्द ही उनके अस्तित्व के बारे में भूल गए।
दूध कहाँ गायब हो जाता है, इसके रहस्य से भी जल्दी ही परदा उठ गया। इसे रोज सूअरों की सानी में मिलाया जाता था। मौसम के शुरू के सेब अब पकने लगे थे। फलोद्यान की घास अपने आप गिरनेवाले सेबों से पटी पड़ी थी। सभी पशु यह मान कर चल रहे थे कि वास्तव में ये सेब सब में बराबर बाँट दिए जाएँगे। अलबत्ता, एक दिन एक आदेश जारी किया गया कि नीचे गिरे सेब इकट्‌ठा करके साज-सामानवाले कमरे में सूअरों के इस्तेमाल के लिए लाए जाने हैं। इस पर कुछ पशु भुनभुनाए लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। सभी सूअर, यहाँ तक कि स्नोबॉल और नेपोलियन भी, इस मुद्दे पर पूरी तरह सहमत थे। स्क्वीलर को दूसरों के सामने आवश्यक व्याख्या करने की दृष्टि से भेजा गया।
‘कॉमरेड्स’, वह चिल्लाया, ‘मेरा खयाल है आप कल्पना नहीं कर सकते कि हम सूअर लोग यह सब स्वार्थ और सुविधा की भावना से कह रहे हैं। हममें से कई को तो दरअसल दूध और सेब पसंद ही नहीं हैं। मैं खुद इन्हें नापसंद करता हूँ। इन चीजों को लेने के पीछे हमारा उद्देश्य सिर्फ यही है कि हम अपनी सेहत बनाए रख सकें। दूध और सेवों में सूअरों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी माने जानेवाले सभी तत्व मौजूद हैं। (इस बात को विज्ञान ने सिद्ध किया  है, कॉमरेड) हम सूअर लोग दिमाग से काम करनेवाले जीव हैं। इस पूरे बाड़े की व्यवस्था और संगठन हम पर निर्भर करता है। हम दिन-रात आप लोगों के लिए सिर खपाते हैं। क्या आप जानते हैं कि यदि हम सूअर लोग अपने कर्तव्य में असफल हो जाएँ तो क्या गजब हो जाएगा! जोंस वापस आ जाएगा। हाँ, जोंस वापस आ जाएगा। यह तय है, कॉमरेड्स, स्क्वीलर, बिलकुल चिरौरी करता हुआ चिल्लाया। वह दाएँ-बाएँ फुदकने लगा। उसकी पूँछ तेजी से हिलने लगी। निश्चित ही आप में से कोई भी नहीं चाहेगा कि जोंस वापस आए?’
अब अगर कोई बात थी जिस पर पशुओं में पूरी सहमति थी तो यही थी कि कोई भी जोंस की वापसी नहीं चाहता था। उन्हें पूरी बात इस आलोक में समझाई गई, तो उनके पास कहने को कुछ भी नहीं बचा। सूअरों को अच्छी सेहत में रहने की महत्ता एकदम स्पष्ट हो चुकी थी। इसलिए यही तय हुआ कि और बहस किए बिना दूध और नीचे गिरे हुए सेब (और पक जाने पर सेबों की मुख्य फसल भी) सिर्फ सूअरों के लिए आरक्षित रखे जाए।


एनिमल फार्म- 8

साभार गुगल


सब कुछ बिलकुल साफ-साफ लिखा गया था। सिर्फ मित्र की जगह मितर लिखा गया और एक जगह ग उलटा लिखा गया था। बाकी सब जगह वर्तनी बिलकुल ठीक थी। स्नोबॉल ने धर्मादेश ऊँची आवाज में पढ़ कर सुनाए ताकि सब जान सकें। सभी पशुओं ने पूर्ण सहमति में अपनी मुंडियाँ हिलाईं, और जो ज्यादा समझदार थे, उन्होंने तत्काल ही धर्मादेशों को कंठस्थ करना शुरू कर दिया।
'अब, साथियो,' स्नोबॉल ने रोगन-कूची एक तरफ फेंकते हुए कहा, 'सूखी घास की तरफ कूच करो। हम उसे अपनी इज्जत का सवाल मान लें कि जोंस और उसके नौकर-चाकर जितना समय लगाते हम उससे भी पहले फसल काट लेंगे।' 
तभी तीन गाएँ बड़ी जोर से रँभाईं। ऐसा लगा, वे काफी देर से बेचैनी महसूस कर रहीं थीं। उन्हें पिछले चौबीस घंटे से दुहा नहीं गया था। उनके थन फटने-फटने को थे। थोड़ी देर तक सोचने के बाद, सूअरों ने बाल्टियाँ मँगवाईं और बहुत सफलतापूर्वक गायों को दुह लिया। उनके गोड़ इस काम के लिए एकदम अनुकूल थे। जल्द ही वहाँ झागदार मलाईदार दूध से भरी पाँच बाल्टियाँ नजर आने लगीं। कई पशु उन बाल्टियों को काफी हसरत से निहार रहे थे। 'इस सारे दूध का क्या किया जाएगा?' किसी ने पूछा।
'जोंस कभी-कभी थोड़ा-सा दूध हमारी सानी में मिला दिया करता था।' मुर्गियों में से एक ने कहा।
'दूध की चिंता छोड़िए, कॉमरेड्स,' नेपोलियन चिल्लाया, वह बाल्टियों के सामने आ गया, 'इसे भी ठौर-ठिकाने लगा दिया जाएगा। फसल ज्यादा जरूरी है। कॉमरेड स्नोबॉल आपको रास्ता दिखाएँगे, मैं बस आ ही रहा हूँ। आगे बढ़ो, कॉमरेड्स सूखी घास आपका इंतजार कर रही है।' 
 और इस तरह सभी पशु सूखी घास के मैदानों की तरफ मार्च करते हुए चले। शाम को जब वे वापस आए तो उन्होंने पाया, दूध गायब था।
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साभार गुगल






सब कुछ बिलकुल साफ-साफ लिखा गया था। सिर्फ मित्र की जगह मितर लिखा गया और एक जगह ग उलटा लिखा गया था। बाकी सब जगह वर्तनी बिलकुल ठीक थी। स्नोबॉल ने धर्मादेश ऊँची आवाज में पढ़ कर सुनाए ताकि सब जान सकें। सभी पशुओं ने पूर्ण सहमति में अपनी मुंडियाँ हिलाईं, और जो ज्यादा समझदार थे, उन्होंने तत्काल ही धर्मादेशों को कंठस्थ करना शुरू कर दिया।
'अब, साथियो,' स्नोबॉल ने रोगन-कूची एक तरफ फेंकते हुए कहा, 'सूखी घास की तरफ कूच करो। हम उसे अपनी इज्जत का सवाल मान लें कि जोंस और उसके नौकर-चाकर जितना समय लगाते हम उससे भी पहले फसल काट लेंगे।' 
तभी तीन गाएँ बड़ी जोर से रँभाईं। ऐसा लगा, वे काफी देर से बेचैनी महसूस कर रहीं थीं। उन्हें पिछले चौबीस घंटे से दुहा नहीं गया था। उनके थन फटने-फटने को थे। थोड़ी देर तक सोचने के बाद, सूअरों ने बाल्टियाँ मँगवाईं और बहुत सफलतापूर्वक गायों को दुह लिया। उनके गोड़ इस काम के लिए एकदम अनुकूल थे। जल्द ही वहाँ झागदार मलाईदार दूध से भरी पाँच बाल्टियाँ नजर आने लगीं। कई पशु उन बाल्टियों को काफी हसरत से निहार रहे थे। 'इस सारे दूध का क्या किया जाएगा?' किसी ने पूछा।
'जोंस कभी-कभी थोड़ा-सा दूध हमारी सानी में मिला दिया करता था।' मुर्गियों में से एक ने कहा।
'दूध की चिंता छोड़िए, कॉमरेड्स,' नेपोलियन चिल्लाया, वह बाल्टियों के सामने आ गया, 'इसे भी ठौर-ठिकाने लगा दिया जाएगा। फसल ज्यादा जरूरी है। कॉमरेड स्नोबॉल आपको रास्ता दिखाएँगे, मैं बस आ ही रहा हूँ। आगे बढ़ो, कॉमरेड्स सूखी घास आपका इंतजार कर रही है।' 
 और इस तरह सभी पशु सूखी घास के मैदानों की तरफ मार्च करते हुए चले। शाम को जब वे वापस आए तो उन्होंने पाया, दूध गायब था।
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साभार गुगल

पूरी गर्मियों के दौरान बाड़े का काम घड़ी की सुइयों की तरह चलता रहा। पशु खुश थे, क्योंकि उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि ऐसा संभव हो सकता है। अन्न के दाने-दाने से उन्हें बेपनाह जुड़ाव महसूस हुआ। खुशी हो रही थी। अब यह सचमुच उनका खुद का अन्न था। इसे उन्होंने खुद और अपने लिए उगाया था। किसी ईर्ष्यालु मालिक ने उन्हें यह सेंत-मेंत में नहीं दिया था। दो कौड़ी के परजीवी आदमी के चले जाने के बाद उनके पास हरेक के खाने के लिए यह बहुत था। अब उनके पास फुरसत भी ज्यादा थी, हालाँकि जानवर इसके अनुभवी नहीं थे। उनके सामने कई तरह की तकलीफें आईं। उदाहरण के लिए, अगले बरस जब उन्होंने मकई की फसल काटी तो उन्हें इसकी मड़ाई पुरातन तरीके से करनी पड़ी और भूसी निकालने के लिए फूँकें मार कर काम करना पड़ा, क्योंकि बाड़े में भूसी निकालने की कोई मशीन नहीं थी। लेकिन सूअर अपनी अक्लमंदी से और बॉक्सर अपनी गजब की ताकत से काम निकाल ही लेते। बॉक्सर सबकी आँखों का तारा था। वह जोंस के वक्त में भी कठोर परिश्रमी था। लेकिन अब लगता था, उसमें तीन घोड़ों की ताकत आ गई है। ऐसे भी दिन रहे जब पूरे बाड़े का सारा काम उसके मजबूत कंधों पर आ गया हो ऐसा प्रतीत होता था। सुबह से रात तक वह खटता रहता। कभी धकेलता हुआ, कभी खींचता हुआ। वह हमेशा उसी जगह नजर आया जहाँ काम सबसे मुश्किल होता। उसने एक युवा मुर्गे से यह तय कर लिया था कि वह उसे सुबह औरों से आधा घंटा पहले जगा दिया करे। वह दिन का नियमित काम शुरू होने से पहले, जहाँ कहीं भी सबसे ज्यादा जरूरी हो, स्वेच्छा से कुछ काम कर दिया करेगा। हरेक समस्या, हरेक बाधा के लिए उसका एक ही जवाब होता, 'मैं और अधिक परिश्रम करूँगा।' इसे उसने अपने व्यक्तिगत लक्ष्य की तरह अपना लिया था। लेकिन हर कोई अपनी क्षमता के अनुसार काम करता। उदाहरण के लिए, मुर्गियों और बत्तखों ने फसल के दौरान इधर-उधर बिखरे दाने बीन कर पाँच किलो वजन मकई बचाई। किसी ने चोरी नहीं की। कोई भी अपनी खुराक पर भुनभुनाया नहीं। पुरानें दिनों के झगड़े, चुगलखोरियाँ, जलना-भुनना, उस जीवन की सारी सामान्य बातें अब आम तौर पर गायब हो चुकी थीं। कोई भी काम से जी नहीं चुराता था। यह सच है कि मौली सुबह जल्दी उठने की आदी नहीं थी और इस आधार पर काम जल्दी छोड़ कर आ जाती कि उसके सुम में कोई कंकड़ फँस गया है। इसके अलावा बिल्ली का व्यवहार कुछ अजीब-सा था। जल्दी ही यह पाया गया कि जब भी कोई काम करने को होता, बिल्ली कहीं नजर न आती। वह लगातार कई घंटों के लिए गायब हो जाती, और फिर खाने के वक्त या एकदम शाम को सारा काम निपट जाने के बाद ही नजर आती, जैसे कुछ हुआ ही न हो। लेकिन वह एक से एक शानदार बहाने मारती। वह इतने प्यार से घुरघुर करती कि उसकी साफ नीयत पर अविश्वास करना संभव ही न होता। बेचारा बैंजामिन गधा, बगावत के बाद भी गधा ही रहा। वह पहले की ही तरह, जैसा वह जोंस के वक्त किया करता था, धीमे-धीमे अड़ियल तरीके से अपना काम किए जाता। न कभी काम से जी चुराना और न ही कभी अतिरिक्त काम के लिए स्वेच्छा से आगे आना। वह बगावत और उसके परिणामों के बारे में कोई राय जाहिर न करता। यह पूछ जाने पर कि क्या वह अब जोंस के चले जाने से पहले से ज्यादा खुश है, वह कहता, 'केवल गधे ही लंबे समय तक जीते हैं।' आज तक आप में से किसी ने मरा हुआ गधा नहीं देखा है, और दूसरों को उसके इस गोलमाल उत्तर से संतुष्ट रह जाना पड़ता।
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साभार गुगल


रविवार के दिन कोई काम न होता। नाश्ता सामान्य दिनों की तुलना में एक घंटा देर से मिलता और नाश्ते के बाद एक उत्सव होता। यह उत्सव हर हफ्ते बिना नागा मनाया जाता। सबसे पहले झंडा फहराया जाता। स्नोबॉल को औजार-घर से मिसेज जोंस का एक पुराना, हरे रंग का मेजपोश मिल गया था। उसने उस पर एक सुम और एक सींग सफेद रंग से पेंट कर दिया था। इसे फार्म हाउस के बगीचे में हर रविवार की सुबह ध्वज डंडे पर चढ़ा कर फहराया जाता। स्नोबॉल ने स्पष्ट किया कि झंडा इसलिए हरा है क्योंकि यह इंग्लैंड के हरे-भरे खेतों का प्रतीक है, जबकि सुम और सींग पशुओं के उस भावी गणतंत्र की ओर इशारा करते हैं जब मनुष्य जाति को पूरी तरह खदेड़ दिया जाएगा। झंडा फहराने के बाद सभी पशु बड़े बखार में मार्च करते हुए जाते और आम सभा के लिए इकट्‌ठा होते। इसे बैठक कहा जाता। यहाँ अगले सप्ताह के कामों की योजना बनाई जाती। संकल्प सामने रखे जाते और उन पर बहस होती। हमेशा सूअर ही संकल्प सामने रखते। पशु वोट देना तो सीख गए थे, लेकिन अपनी तरफ से कोई संकल्प रखने की बात कभी नहीं सोच पाए। स्नोबॉल और नेपोलियन बहसों में सबसे ज्यादा बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते। लेकिन यह पाया गया कि वे दोनों कभी एक-दूसरे से सहमत न होते। उनमें से कोई एक भी सुझाव रखता, दूसरा हर हालत में उसका विरोध करता। यहाँ तक कि जब यह संकल्प किया गया कि फलोद्यान के पीछे एक छोटा-सा बाड़ा उन पशुओं के आरामघर के लिए अलग रख छोड़ा जाए जो काम करने की उम्र पार कर चुके हैं, यह एक ऐसी चीज थी, जिस पर किसी को एतराज नहीं हो सकता था, लेकिन इस बात पर धुआँधार बहस हो गई कि पशुओं की प्रत्येक जाति के लिए सेवानिवृत्ति की सही उम्र क्या रखी जाए। बैठकें हमेशा ‘इंग्लैंड के पशु’ गीत के साथ समाप्त होतीं, दोपहर का समय मनोरंजन के लिए रखा जाता।
सूअरों ने साज-सामान के कमरे को अपने लिए मुख्यालय के रूप में चुन लिया था। वहाँ, शाम के वक्त वे बढ़ईगीरी, लुहारगीरी और दूसरी जरूरी कलाओं का अध्ययन उन किताबों से करते जो फार्म हाउस से उठा लाए थे। स्नोबॉल खुद को दूसरे पशुओं को संगठित करने में उलझाए रखता। इन्हें वह पशु समिति कहा करता। वह इस काम में बिना थके जुटा रहता। उसने मुर्गियों के लिए अंडा उत्पादन समिति (इसका उद्देश्य चूहों और खरगोशों को पालतू बनाना था), भेड़ों के लिए धवल ऊन आंदोलन और इस तरह की कई समितियाँ बनाईं। इसके अलावा उसने पढ़ने-लिखने की कक्षाएँ चलाईं। कुल मिला कर ये परियोजनाएँ टायँ-टायँ फिस्स हो गई। उदाहरण के लिए, जंगली जीव-जंतुओं को पालतू बनाने की कोशिश तो उसी समय ही चूँ बोल गई। वे पहले की ही तरह बर्ताव करते रहे और जब उनसे उदारता से पेश आया गया तो उन्होंने इसका फायदा उठाना शुरू कर दिया। बिल्ली पुनर्शिक्षा समिति में शामिल हो गई। कुछ दिन तक तो वह इसमें बहुत उत्साहित रही। एक दिन वह छत पर बैठ गौरैयों से बात करती दिखाई दी। वे बिल्ली की पहुँच के जरा-सी बाहर थीं। वह उन्हें बता रही थी कि सभी पशु-पक्षी अब मित्र हैं और कोई भी गौरैया उसके पंजे पर आ कर बैठ सकती है, लेकिन गौरैओं ने अपनी दूरी बनाए रखी।
अलबत्ता, पढ़ने-लिखने की कक्षाएँ खूब सफल रहीं। शरद ऋतु के आते-आते बाड़े का हर पशु कुछ हद तक साक्षर हो चुका था।