Friday, May 20, 2016

भाग 9



साभार गुगल

सूअर तो पहले से ही धड़ल्ले से पढ़ और लिख सकते थे। कुत्तों ने काफी हद तक पढ़ना सीख लिया, लेकिन वे सात धर्मादेशों के अलावा कुछ भी पढ़ने या सीखने के लिए इच्छुक नहीं थे। मुरियल बकरी कुत्तों से थोड़ा बेहतर पढ़ लेती, और कई बार शाम के वक्त कचरे के ढेर में से मिली अखबार की कतरनों को पढ़ कर दूसरों को सुनाती। बैंजामिन सूअरों की ही तरह ही पढ़ लेता था, लेकिन उसने कभी इसके लिए दिमाग नहीं खपाया।
उसका कहना था, जहाँ तक वह जानता है, कुछ भी पढ़ने लायक नहीं है। क्लोवर ने पूरी वर्णमाला सीख ली, लेकिन वह अक्षरों को एक साथ नहीं रख पाती थी। बॉक्सर ई से आगे नहीं बढ़ पाया। वह अपने विशाल सुम से धूल में अ, आ, इ, ई उकेरता, और फिर कान खड़े करके इन अक्षरों को घूरता खड़ा रहता। कभी-कभी अपने भालकेश हिलाता, अपने दिमाग पर पूरा जोर लगा कर याद करने की कोशिश करता कि इसके बाद क्या आता है, लेकिन कभी सफल न हो पाता। कई बार तो उसने सचमुच उ, ऊ, ए, ऐ तक याद कर लिया, लेकिन जब तक इन अक्षरों को जान पाता, हमेशा यही पता चलता, वह अ, आ, इ, ई भी भूल चुका है। आखिरकार उसने तय कर लिया कि वह पहले अपने चार अक्षरों से ही संतुष्ट रहेगा। वह अपनी याददाश्त ताजा करने के लिए दिन में एक-दो बार लिख लेता। मौली ने अपने खुद के नाम के अक्षरों के अलावा कुछ भी सीखने से इनकार कर दिया। वह कुछ टहनियाँ ले कर बहुत सफाई से अपने नाम के अक्षर बनाती और फिर उन्हें फूलों से सजाती। तब वह आत्ममुग्धा-सी इसके चारों तरफ चक्कर काटती रहती।
बाकी पशुओं में कोई भी अ अक्षर से आगे नहीं पहुँच पाया। यह भी देखा गया कि भोंदू किस्म के प्राणी, जैसे भेड़ें, मुर्गियाँ और बत्तखें ये सात धर्मादेश भी कंठस्थ नहीं कर पाए थे। बहुत सोचने-विचारने के बाद स्नोबॉल ने घोषणा की कि देखा जाए तो इन सात धर्मादेशों को एक अकेले सूत्रवाक्य में पिरोया जा सकता है। इन्हें इस तरह घटाया जा सकता है, चार टाँगें अच्छी, दो टाँगें खराब। उसका कहना था कि इसमें पशुवाद का आवश्यक सिद्धांत आ गया है। जो भी इसे अच्छी तरह ग्रहण कर लेगा, वह आदमियों के प्रभाव से बचा रहेगा। शुरू-शुरू में पक्षियों ने इस पर आपत्ति की, क्योंकि उन्हें यह लगा कि उनकी भी दो ही टाँगें हैं, लेकिन स्नोबॉल ने सिद्ध कर दिया कि ऐसा नहीं है।
‘कॉमरेड्स,' उसने बताया, ‘चिड़िया के पर फड़फड़ानेवाले यानी शरीर को आगे ले जानेवाले अंग हैं, न कि स्वार्थ साधने के अंग। इसलिए परों को पैर माना जाना चाहिए। आदमी की सबसे खास निशानी उसके हाथ हैं। इन्हीं के साथ वह दुनिया भर का छल-कपट करता है।’
चिड़ियों को स्नोबॉल की भारी-भरकम शब्दावली समझ नहीं आई, लेकिन उन्होंने उसकी व्याख्या स्वीकार कर ली। सभी छोटे, निरीह प्राणियों ने नए सूत्रवाक्य को रटना शुरू कर दिया। ‘चार टाँगें अच्छी, दो टाँगें खराब’ को बखार की आखिरी दीवार पर, ‘सात धर्मादेश’ के ऊपर और बड़े अक्षरों में खुदवा दिया गया। एक बार उसे कंठस्थ कर लेने के बाद भेड़ों में इस सूत्रवाक्य के लिए खासा प्रेम उमड़ा। वे अकसर खेतों में लेटे-लेटे अचानक मिमियाने लगतीं - ‘चार टाँगें अच्छी, दो टाँगें खराब। चार टाँगें अच्छी, दो टाँगें खराब।’ इसे वे घंटों अलापती रहतीं। कभी भी उकताती नहीं थीं।
नेपोलियन को स्नोबॉल की समितियों में कोई दिलचस्पी नहीं थी। उसका कहना था कि छोटों की पढ़ाई बड़े हो चुके प्राणियों के लिए कुछ करने की तुलना में ज्यादा महत्वपूर्ण है। हुआ यह कि जेस्सी और ब्लूबैल, दोनों ने सूखी घास की फसल के तुरंत बाद पिल्ले जने। दोनों ने कुल मिला कर नौ तगड़े पिल्लों को जन्म दिया। उनका दूध छुड़ाए जाते ही नेपोलियन उन्हें उनकी माँओं से यह कहते हुए ले गया कि वह उनकी पढ़ाई-लिखाई की जिम्मेदारी उठाएगा। वह उन्हें उठा कर एक टाँड़ पर ले गया। इस पर साज-सामान के कमरे से एक सीढ़ी द्वारा ही चढ़ा जा सकता था। उसने उन्हें वहाँ इतने एकांत में रखा कि बाड़े के बाकी लोग जल्द ही उनके अस्तित्व के बारे में भूल गए।
दूध कहाँ गायब हो जाता है, इसके रहस्य से भी जल्दी ही परदा उठ गया। इसे रोज सूअरों की सानी में मिलाया जाता था। मौसम के शुरू के सेब अब पकने लगे थे। फलोद्यान की घास अपने आप गिरनेवाले सेबों से पटी पड़ी थी। सभी पशु यह मान कर चल रहे थे कि वास्तव में ये सेब सब में बराबर बाँट दिए जाएँगे। अलबत्ता, एक दिन एक आदेश जारी किया गया कि नीचे गिरे सेब इकट्‌ठा करके साज-सामानवाले कमरे में सूअरों के इस्तेमाल के लिए लाए जाने हैं। इस पर कुछ पशु भुनभुनाए लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। सभी सूअर, यहाँ तक कि स्नोबॉल और नेपोलियन भी, इस मुद्दे पर पूरी तरह सहमत थे। स्क्वीलर को दूसरों के सामने आवश्यक व्याख्या करने की दृष्टि से भेजा गया।
‘कॉमरेड्स’, वह चिल्लाया, ‘मेरा खयाल है आप कल्पना नहीं कर सकते कि हम सूअर लोग यह सब स्वार्थ और सुविधा की भावना से कह रहे हैं। हममें से कई को तो दरअसल दूध और सेब पसंद ही नहीं हैं। मैं खुद इन्हें नापसंद करता हूँ। इन चीजों को लेने के पीछे हमारा उद्देश्य सिर्फ यही है कि हम अपनी सेहत बनाए रख सकें। दूध और सेवों में सूअरों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी माने जानेवाले सभी तत्व मौजूद हैं। (इस बात को विज्ञान ने सिद्ध किया  है, कॉमरेड) हम सूअर लोग दिमाग से काम करनेवाले जीव हैं। इस पूरे बाड़े की व्यवस्था और संगठन हम पर निर्भर करता है। हम दिन-रात आप लोगों के लिए सिर खपाते हैं। क्या आप जानते हैं कि यदि हम सूअर लोग अपने कर्तव्य में असफल हो जाएँ तो क्या गजब हो जाएगा! जोंस वापस आ जाएगा। हाँ, जोंस वापस आ जाएगा। यह तय है, कॉमरेड्स, स्क्वीलर, बिलकुल चिरौरी करता हुआ चिल्लाया। वह दाएँ-बाएँ फुदकने लगा। उसकी पूँछ तेजी से हिलने लगी। निश्चित ही आप में से कोई भी नहीं चाहेगा कि जोंस वापस आए?’
अब अगर कोई बात थी जिस पर पशुओं में पूरी सहमति थी तो यही थी कि कोई भी जोंस की वापसी नहीं चाहता था। उन्हें पूरी बात इस आलोक में समझाई गई, तो उनके पास कहने को कुछ भी नहीं बचा। सूअरों को अच्छी सेहत में रहने की महत्ता एकदम स्पष्ट हो चुकी थी। इसलिए यही तय हुआ कि और बहस किए बिना दूध और नीचे गिरे हुए सेब (और पक जाने पर सेबों की मुख्य फसल भी) सिर्फ सूअरों के लिए आरक्षित रखे जाए।


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