Friday, April 22, 2016

एनिमल फार्म भाग - 3


साभार गुगल

'क्या अब यह बात दिन की रोशनी की तरह साफ नहीं है साथियो कि हमारी इस जिंदगी की सारी विपत्तियों के पीछे मनुष्य जाति के अत्याचार ही हैं? सिर्फ आदमी से छुटकारा पा लीजिए और हमारी सारी मेहनत की उपज पर हमारा अधिकार हो जाएगा। हम रातों-रात धनवान और आजाद हो सकते हैं। इसके लिए हमें करना क्या होगा? यही कि हम दिन-रात लगे रहें, मन लगा कर हाड़-तोड़ मेहनत करें और यहाँ से मनुष्य जाति को उखाड़ फेंके। साथियो, आप लोगों के लिए यही मेरा संदेश है। विद्रोह (बगावत), मुझे नहीं पता यह बगावत कब होगी। इसमें एक सप्ताह भी लग सकता है और सौ बरस भी, लेकिन मुझे पूरा यकीन है, अपने नीचे बिछे पुआल की तरह मैं साफ-साफ देख पा रहा हूँ कि देर-सबेर हमें न्याय मिलेगा। दोस्तो, जितनी भी जिंदगी बची है तुम्हारी, उसके एक-एक पल के लिए अपनी निगाह उसी पर गड़ाए रखो और इससे भी ज्यादा खास बात यह है कि मेरे इस संदेश को उन तक भी पहुँचाओ जो तुम्हारे बाद इस धरती पर आएँगे, ताकि आनेवाली पीढ़ियाँ तब तक संघर्ष करती रहें जब तक जीत हासिल नहीं हो जाती।
'और याद रखो, कॉमरेड्स, तुम अपने संकल्प से कभी डिगो नहीं। कोई भी तर्क-कुतर्क तुम्हें बहकाए-भटकाए नहीं। इस बात पर कान मत धरो कि आदमी और पशु के हित एक से हैं और एक की संपन्नता ही दूसरे की संपन्नता है। यह सब झूठ है, बकवास है। आदमी सिर्फ अपना स्वार्थ साधता है, किसी और प्राणी का नहीं। हम सब पशुओं में, जीवों में पूरी एकता होनी चाहिए। संघर्ष के लिए मजबूत भाईचारा। सभी मनुष्य शत्रु हैं। सभी पशु साथी हैं। कामरेड हैं।'
यह सुनते ही चारों तरफ गजब का शोर उठा। हर्ष ध्वनि होने लगी। जब मेजर बात कर रहा था तो चार तगड़े चूहे अपने बिलों से बाहर सरक आए और उकड़ू बैठे उसकी बात ध्यान से सुनने लगे। अचानक कुत्तों की निगाह उन पर पड़ गई। चूहे गजब की फुर्ती से अपने बिलों की तरफ छलाँग लगा कर ही अपनी जान बचा पाए। मेजर ने अपना पैर उठा कर शांति बनाए रखने का इशारा किया।
'कॉमरेड्स,' उसने कहा, ‘यहाँ हमें एक बात साफ-साफ तय कर लेनी चाहिए। जंगली पशु जैसे चूहे और खरगोश - वे हमारे शत्रु हैं अथवा हमारे मित्र? चलिए मतदान करके तय कर लेते हैं। मैं बैठक के सामने यह सवाल रखता हूँ कि क्या चूहे कॉमरेड हैं?’
तुरंत मतदान कर लिया गया, जबरदस्त बहुमत से यह तय कर लिया गया कि चूहे कॉमरेड हैं। वहाँ केवल चार ही प्राणी असहमत थे। तीन कुत्ते और बिल्ली। बिल्ली के बारे में बाद में पता चला कि उसने दोनों तरफ मतदान किया है। मेजर ने अपनी बात जारी रखी।
‘अब मुझे ज्यादा कुछ नहीं कहना है। मैं सिर्फ अपनी बात दोहराता हूँ। मनुष्य और उसके सभी कर्मोx, तरीकों के प्रति अपनी दुश्मनी की बात हमेशा याद रखो। जो भी दो पैरों पर चले, वह शत्रु है। जो चार पैरों पर चलता है, वह मित्र है। और यह भी याद रखो कि मनुष्य के खिलाफ लड़ते वक्त ऐसा कतई न हो कि हम उसी जैसे लगने लगें। उस पर विजय पा लेने के बाद भी उसकी बुराइयों को मत अपनाना। कोई भी पशु कभी भी किसी घर में ना रहे, या बिस्तर पर ना सोए या कपड़े ना पहने, या नशा-पानी न करे, या तंबाकू सेवन न करे, या रुपए-पैसे को हाथ न लगाए, या कारोबार ना करे। मनुष्य की ये सारी आदतें ही पाप हैं। और सबसे बड़ी बात, कोई भी पशु अपने ही बंधु-बिरादरों पर अत्याचार ना करे। कमजोर और शक्तिशाली, चतुर या बोदा, हम सब भाई-भाई हैं। कोई भी पशु कभी किसी दूसरे पशु को ना मारे। सभी पशु बराबर हैं।
 'साथियो, अब मैं आपको कल रात के अपने सपने के बारे में बताऊँगा। यह सपना मैं आप लोगों के सामने बयान नहीं कर सकता। यह उस वक्त की धरती का सपना है, जब यहाँ आदमी का नामो-निशान भी नहीं रहेगा। लेकिन इस सपने ने मुझे वह सब कुछ याद दिला दिया जो मैं कभी का भूल चुका था। बहुत बरस बीते, जब मैं एक नन्हा-सा सूअर था, मेरी माँ और उसकी साथिन सूअरनियाँ एक बहुत पुराना ऐसा गाना गाया करती थीं, जिसकी सिर्फ धुन और शुरू के तीन शब्द ही उन्हें पता थे। मैं इस धुन को अपने छुटपन से ही जानता था, लेकिन अरसा हुआ, यह मेरे दिमाग से उतर गई थी। अचानक ही कल रात, वही धुन मेरे सपने में लौट आई। और इससे भी बड़ी बात यह हुई कि गीत के बोल भी लौट आए - मुझे पूरा यकीन है, यह वही बोल हैं जो सदियों पहले पशु गाया करते थे, और कई पीढ़ियों तक उनकी स्मृति से उतरे रहे। कॉमरेड्स, अब मैं वह गीत आप लोगों को गा कर सुनाऊँगा। मैं बूढ़ा हो चला हूँ। मेरी आवाज कर्कश हो गई है, लेकिन जब मैं आपको इसकी धुन सिखा दूँगा तो आप लोग इसे खुब अच्छी तरह गा सकेंगे। गीत का मुखड़ा है, ‘इंग्लैंड के पशु’।'
जनाब मेजर ने अपना गला खखारा और गाना शुरू किया। वह कह ही चुका था कि उसकी आवाज कर्कश है, लेकिन उसने काफी अच्छा गाया। उसकी धुन में कंपन था। कुछ-कुछ 'क्लेमैन्टाइन' और 'ला कुकुराचा' के बीच का। गीत के बोल इस तरह से थे :
इंग्लैंड के पशु, आयरलैंड के पशु,
देश-देश और जलवायु के पशु
खुशियों भरी मेरी बातें सुनो
स्वर्णिम भविष्य की बातें सुनो।

आएगा वह दिन देर-सबेर
दुष्ट आदमी दिया जाएगा खदेड़
और इंग्लैंड के फलदार खेतों में
पैर पड़ेंगे सिर्फ पशुओं के।

हमारी नकेलें जाएँगी छूट,
पीठ से बोझा जाएगा छूट,
लगामें, जीन जल जाएँगी
नहीं बरसेंगे कोड़े क्रूर।

कल्पना से कहीं अधिक अमीर
गेहूँ जौ, जई और घास
बनमेथी, फलियाँ, चुंदर-मूल
होंगे इक दिन हमारे पास।

चमकेंगे धूप में इंग्लैंड के खेत
पीएँगे मीठा पानी भर-भर पेट
बहेगी मीठी सुंगधित वास
वह दिन जब हम होंगे आजाद।

करें उस दिन के लिए मेहनत खूब
निकलें प्राण बेशक उससे पूर्व
गाएँ, घोड़े, हंस और गिद्ध 
सब करें मेहनत आजादी के लिए।

इंग्लैंड के पशु, आयरलैंड के पशु,
देश-देश और जलवायु के पशु
ध्यान से सुनो और खूब फैलाओ
स्वर्णिम भविष्य की मेरी बातें सुनाओ।

No comments:

Post a Comment