Friday, April 22, 2016

एनिमल फार्म जॉर्ज ऑर्वेल अनुवाद : सूरज प्रकाश

भाग - 1

साभार गुगल

नर फार्म यानी ताल्लुकाबाड़े के मिस्टर जोंस ने रात के लिए मुर्गियों के दड़बों को ताला तो लगा दिया था, लेकिन वह इतना ज्यादा पिए हुए था कि उनके किवाड़ बंद करना ही भूल गया। वह लड़खड़ाता हुआ अहाते की तरफ चल दिया। उसकी लालटेन से बनती रोशनी का घेरा उसके चलने से इधर-उधर हो रहा था। उसने अपने जूते पिछवाड़े के दरवाजे की तरफ उछाल दिए। फिर रसोई के कोठे में रखे पीपे में से अपने लिए बीयर का आखिरी गिलास भरा और चलता हुआ बिस्तर के पास जा पहुँचा, जहाँ मिसेज जोंस पहले ही खर्राटे लेती सोई हुई थीं।
जैसे ही बेडरूम की बत्ती बंद हुई, बाड़े की सभी इमारतों में हलचल और सुगबुगाहट शुरू हो गई। दिन में ही चारों तरफ यह खबर फैल चुकी थी कि जनाब मेजर, माननीय धूसर सूअर को कल रात एक अजीब-सा सपना आया था और उनकी इच्छा है कि अपने इस सपने के बारे में दूसरे प्राणियों को बताएँ। यह तय हो ही चुका था कि जैसे ही मिस्टर जोंस के जाने से सब कुछ सुरक्षित हो जाएगा, सब लोग बाड़ेवाले बखार में मिलेंगे। जनाब मेजर को बाड़े में इतना अधिक सम्मान मिला हुआ था कि हर प्राणी उनकी बात सुनने के लिए अपनी घंटे भर की नींद का त्याग करने के लिए बिलकुल तैयार था। (उन्हें इसी नाम से पुकारा जाता था, हालाँकि उन्हें विलिंगडन ब्यूटी के नाम से प्रदर्शित किया गया था।)
बड़े बखार के एक सिरे की तरफ एक चबूतरे पर मेजर पहले ही अपने पुआल के बिस्तर पर आराम से पसरा हुआ था। उसके ऊपर एक शहतीर से एक लालटेन लटकी हुई थी। उसकी उम्र बारह बरस की थी और पिछले कुछ अरसे से वह कुछ मुटिया गया था, लेकिन उसके बावजूद वह अभी भी राजसी ठाठ-बाटवाला सूअर था। उसे बधिया नहीं किया गया था। हालाँकि उसके आगे के नुकीले दाँत कभी काटे नहीं गए थे, फिर भी वह देखने में बुद्धिमान और उदार लगता था। काफी पहले से ही अलग-अलग पशु आने शुरू हो गए थे और अपने-अपने हिसाब से आराम से बैठ रहे थे। सबसे पहले तीनों कुत्ते, ब्लू बैल, जेस्सी और पिंचर आए। फिर सूअर आए तो चबूतरे के एकदम सामने पुआल पर पसर गए। इसके बाद मुर्गियाँ आईं जो खिड़कियों की सिल पर जा बैठीं। कबूतर फड़फड़ाते हुए शहतीरों पर बैठ गए। भेड़ों और गायों ने अपने लिए सूअरों के पीछे जगह तलाश ली और बैठे-बैठे जुगाली करने लगीं। गाड़ीवाले दोनों घोड़े बौक्सर और क्लोवर एक साथ आराम से धीरे-धीरे चलते हुए आए। वे अपने बड़े-बड़े रोएँदार सुम इतनी सावधानी से रख रहे थे कि कहीं कोई छोटा-मोटा जानवर पुआल में न छिपा बैठा हो। क्लोवर थोड़ी मोटी ममतामयी घोड़ी थी जो अब अधेड़ावस्था में पहुँच रही थी। अपने चौथे बछड़े को जनने के बाद वह अपनी पुरानी फीगर कभी वापस नहीं पा सकी थी। बौक्सर अच्छा खासा कद्दावर पशु था। वह कोई अठारह हाथ ऊँचा था और उसमें औसत दरजे के दो घोड़ों के बराबर ताकत थी। उसकी नाक पर एक सफेद धारी थी, जिसकी वजह से वह कुछ-कुछ फूहड़-सा लगता था। वह अव्वल दरजे का बुद्धिमान भी नहीं था। लेकिन एक बात थी, उसके चरित्र की गंभीरता और काम करने की अकूत ताकत की वजह से सब उसका बहुत सम्मान करते थे। घोड़ों के बाद सफेद बकरी मुरियल और बैंजामिन नाम का गधा आए। बैंजामिन बाड़े का सबसे पुराना प्राणी था और बहुत अधिक खब्ती था। वह कभी किसी से बात नहीं करता था, लेकिन जब वह बोलता तो आम तौर पर कोई न कोई कटाक्ष ही करता। उदाहरण के लिए वह कहेगा कि भगवान ने उसे पूँछ इसलिए दी है कि वह मक्खियों को उड़ा कर उन्हें दूर रखे, लेकिन जल्द ही न तो उसके पास पूँछ रहेगी और न ही मक्खियाँ रहेंगी। बाड़े पर वही केवल ऐसा पशु था जो कभी हँसता नहीं था। इसकी वजह पूछने पर वह यही कहता कि उसे कुछ भी ऐसा नजर नहीं आता जिस पर हँसा जा सके। अलबत्ता सबके सामने स्वीकार न करते हुए भी वह बौक्सर के प्रति निष्ठावान था। दोनों अक्सर अपनी रविवार की छुट्टियाँ एक साथ फलोद्यान के परेवाले छोटे पशुबाड़े में, साथ-साथ चरते हुए, लेकिन बिलकुल भी बात किए बिना गुजारते थे।

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